करोना ने बढ़ाई सामाजिक,राजनैतिक,आर्थिक समस्या और दूरियां।
कोरोना की वजह से भले ही दूर-दूर रहना स्वास्थ के लिये उचित हो परन्तु कोरोना वायरस के व्यापक परिणाम भी प्रकट हो रहे है । देशों की आपस मे दूरियाँ बढ़ रही है । राजनीति, कूटनीति, चतुराई और लाभ-हानि के मापदण्ड तय होने लगे है । सामान्य ज्ञान और ज्योतिष का तालमेल आपको परिदृश्य समझने में सहायता कर सकता है ।
द्वितीय विश्वयुद्ध से पहले - हिटलर ने गेस्टापो नामक गुप्तचर संस्था अथवा सीक्रेट सर्विस का गठन किया था । इसमे काम करने वाले लोगों को एजेन्ट कहा जाता था और ये एजेन्ट विभिन्न देशों में रहकर, उन देशों की कमजोरियों का पता लगाकर हिटलर को बताते थे । इसका लाभ उठाकर हिटलर उन देशों पर दबाव बनाता था और उन्हें अपने नियन्त्रण में रहने को मजबूर करता था । लेकिन शक्तिशाली देशों - ब्रिटेन, रूस और विभिन्न साधन संपन्न यूरोपियन देशों ने इसका विरोध किया और फिर विश्वयुद्ध छिड़ गया था । हिटलर तो हार गया मगर उसकी देखादेखी अमरीका, ब्रिटेन, रूस और दूसरे विभिन्न देशों ने अपनी-अपनी शक्तिशाली गुप्तचर संस्थायें खड़ी कर ली । इसके पीछे राजनीतिक ताकत भी काम करती थी और राजनीतिक स्वार्थ भी साधे जाते थे । इनमे अमरीका की सीआईए, रूस की केजीबी, ब्रिटेन की एमआई 6 उल्लेखनीय है और भी कई देशों ने इसका अनुसरण किया । बाद में भारत ने भी रॉ नामक संस्था का गठन कर लिया था । लेकिन - शीत युद्ध के दौरान - अमरीका, रूस और ब्रिटेन ने हिटलर से भी आगे जाकर विभिन्न देशों में स्थापित अपने एजेन्टों से केवल सूचनायें ही नही एकत्र की बल्कि घृणित षड्यन्त्र रचकर प्रतिद्वन्दी देश की समर्थक सरकारों का तख्ता पलटने का काम भी शुरू कर दिया था । फिर - यही बातें आगे बढ़कर, दुर्घटनायें करवाना, विभिन्न राजनीतिक हस्तियों की हत्यायें करवाना और दो देशों को युद्ध मे उलझा देना और फिर उन दोनों को अपने हथियार बेचना । जैसी निम्न स्तर की हरकतों का बाज़ार गरम हो गया । समय के साथ ये अब और आगे बढ़ गया है । आज सभी परम्पराओं को ताक पर रख दिया गया है । अपना हित साधने के लिये अब दुनियाँ को खतरे में डाल देने से भी किसी को गुरेज नही है ।
जब कोरोना वायरस फैला -
उससे पहले ऑक्टोबर में किसी समझौते के तहत अमरीकी सैनिकों का एक जत्था वुहान शहर आया था । चीन का कहना है कि - उसी समय अमरीकी सीक्रेट सर्विस ने कोरोना वायरस फैलाने का षड्यन्त्र भी रचा था । जबकि - अमरीका के कहना है कि - अपनी महत्त्वाकांक्षाओं के चलते और विश्व राजनीति पर हावी होने के लिये चीन ने ही ये षड्यन्त्र रचा है ।
इस सबसे हटकर -
अगर ज्योतिष की दृष्टि से देखा जाये तो, उस समय राहु-केतु, शनि और गुरु बृहस्पति ग्रह सक्रीय थे । ये सभी ग्रह - गोपनीयता, षड्यन्त्र, अचानक घटनाओं को घटाने और अहंकार की संतुष्टि का फल देने वाले ग्रह हैं । उस समय ऐसा हो सकता था - ऐसा इन ग्रहों की सक्रियता से संकेत मिलता है । बुध कुछ निर्बल था जिससे गोपनीयता बनी नही रह सकी अन्यथा रहस्य को अन्त तक बनाये रखने का काम बुध बहुत सटीकता से करता है । गुरु बृहस्पति की सक्रियता और वायरस कारक केतु का उससे मिलना और फिर घटनाओं का निर्मित होना । चीन को सन्देह के घेरे में ले आता है । ऐसे भी गुरु बृहस्पति - चीन का प्रतिनिधित्व करता है । इससे चीन की गतिविधियाँ गुरु बृहस्पति की सक्रियता से जुड़ जाती हैं ।
शीत युद्ध के समय मे किसी देश की सीक्रेट सर्विस अगर प्रतिद्वन्दी देश मे कोई घटना को अन्जाम देती थी । तब उस देश की सीक्रेट सर्विस भी कुछ ही दिनों में इसका जवाब देती थी और ऐसी ही घटना वहां भी घट जाती थी । जैसे - रूस में अगर किसी परमाणु संयंत्र में धमाका हो जाये अथवा किसी जाने-माने राजनीतिक व्यक्ति की हत्या हो जाये तो, कुछ ही दिनों में ऐसी ही घटना अमरीका में भी हो जाती थी । ये संकेत होता था कि - दोनो ही देशों की सीक्रेट सर्विस सक्रीय है और कुछ भी कर गुजरने को तैयार है । इससे दोनों ही देश एक दूसरे की जासूसी का लोहा मानते थे और कुछ भी करने से पहले अपना अन्जाम भी सोचने लगते थे । जब कोरोना वायरस चीन में फैला तो, चीन ने इसका आरोप अमरीका पर लगाया और कुछ ही दिन में ये वायरस - साउथ कोरिया, इटली, स्पेन, ईरान और अमरीका में फैल गया । ये वही खेल जान पड़ता है जो पहले गुप्तचर संस्थायें खेला करती थी और अपने-अपने देश को श्रेष्ठ सिद्ध करने का प्रयास करती थी । वायरस से अधिक पीड़ित देशों का अध्यन करने से पता चल जायेगा कि - कौनसा देश, किसका समर्थक है ।
इससे ऐसा लगता है कि -
आज शीत युद्ध की गुप्तचर संस्थाओं का एक आधुनिक संस्करण काम कर रहा है और ऑप्रेशन कोरोना चल रहा है । इन सब घटनाओं के आंकलन को देखकर लगता है कि - अमरीका में सबसे ज्यादा नुकसान होने वाला है । क्योंकि मुख्य विवाद तो चीन और अमरीका के बीच ही है और चीन वायरस को भुगत चुका है और अब अमरीका को भुगतना है ।
कोरोना मैन मेड वायरस है -
अब ये सब जानते है । फलस्वरूप इसका बायो लॉजिकल उपयोग हो रहा है । ये भी सब समझ रहे हैं । इससे देशों में दूरियाँ बढ़ रही है और विभिन्न देश गोलबंद हो रहे हैं ।
ज्योतिष कहता है कि -
शनि इस वर्ष सूर्य के नक्षत्र में है - जो शत्रुता को बढ़ावा देने का फल करेगा । गुरु निरन्तर निर्बल रहेगा जिससे रचनात्मकता और ज्ञान अदृश्य हो जायेंगे । ये चीन के समस्याओं से घिर जाने का भी संकेत करता है ।
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